समान नागरिक संहिता हिंदूृ-मुसलमान नहीं समाज की जरूरत है
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news की वीडियो को सब्सक्राइब करेश्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था एक देश में दो विधान और दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेगा। उनकी बात जायज है। ये सही है कि भारत विविधताओं से भरा देश है। अलग अलग इलाकों की परंपराएं अलग-अलग हैं। मान्यताएं अलग हैं। लेकिन पूरब से पश्चिम औऱ उत्तर से दक्षिण तक समाज को जोड़ने का भी तो प्रयत्न होना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं को किनारे कर एक जैसा कानून इसमें काफी मदद कर सकता है। मुसलमानों को लगता है कि इस कानून के लागू होने पर वो एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे। लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत तो ये गैर कानूनी ही है। हिंदुओं के लिए भी अलग-अलग पर्सनल कानून हैं। इसलिए हिंदू-मुस्लिम नहीं बल्कि प्रगतिशील समाज के लिए एक कानून बनना चाहिए